
धूमधाम से मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस
मुंबई। अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस हर साल १ अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य अपने बुजुर्गों के प्रति समभाव रखें। उनका आदर सत्कार करें। इस दिवस के माध्यम से बुजुर्गों को सम्मान और उनका हक दिलाने का प्रयास किया जाता है, लेकिन आज के वक्त में लोग 'मेरी जिंदगी, मेरे नियम' की तर्ज पर चल रहे हैं। अपनों को अनदेखा करके, अपनों को अनसुना करके बाहरी दुनिया की सेवा कर रहे हैं। सेवा करने के दौरान कई तरह के पोस्ट सोशल मीडिया पर अपलोड कर वाहवाही लूटी जाती है, लेकिन घर में बैठे बुजुर्गों को पूछने के लिए कोई नहीं होता है। इस तर्ज पर सभी नहीं चलते। अपना देश संस्कारों की जननी मानी जाती है। इसी तर्ज पर एक अक्टूबर की शाम भोलानाथ चौरसिया ने कुछ बुजुर्गों को पूल, परिधान आदि देकर उनका सम्मान किए और उनका आशीर्वाद भी लिए। इस दौरान पंडित जी के अलावा लंबू व कामता प्रसाद चौरसिया आदि गणमान्य मौजूद रहे। यह सारा कार्यक्रम वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर सिंह सोमवंशी की दिशा-निर्देश पर विक्रोली पूर्व में आयोजित किया गया था। इस दौरान भालानाथ ने अखिल भारतीय आदर्श चौरसिया महासभा (दिल्ली) अध्यक्ष मुंबई निवासी रमेश लक्खूलाल चौरसिया के आदर्शों पर खुद को चलने की बात कहते हुए कहा कि पहले माता-पिता अपने बच्चों को संभालते हैं, वहीं बुढ़ापे में बच्चों को बारी होती है कि वह अपने माता-पिता का ख्याल रखें। कई बार वह कुछ काम करने से बार-बार रोकते हैं, क्योंकि घर में उन्हें जीवन का सबसे अधिक तजुर्बा होता है। जिस तरह से बच्चे घर की रौनक होते हैं उसी तरह बुजुर्ग भी घर की रौनक होते हैं।